Thursday, January 27, 2011

गालियां

गालियों के खुले इस्तेमाल का चलन इन दिनों लगातार बढ़ रहा है उससे लगता है कि गाली दिए बिना न तो विद्रोह को सार्थक स्वर दिया जा सकता है, न ही प्रेम को. पुरुषों ही नहीं, बिंदास जीवन जीने वाली युवतियों की बातचीत में भी गालियों का चलन है

गालियां बताती हैं कि आप के भीतर अपने खयालात को तर्क के बूते स्थापित कर पाने की क्षमता नहीं है.