गालियों के खुले इस्तेमाल का चलन इन दिनों लगातार बढ़ रहा है उससे लगता है कि गाली दिए बिना न तो विद्रोह को सार्थक स्वर दिया जा सकता है, न ही प्रेम को. पुरुषों ही नहीं, बिंदास जीवन जीने वाली युवतियों की बातचीत में भी गालियों का चलन है
गालियां बताती हैं कि आप के भीतर अपने खयालात को तर्क के बूते स्थापित कर पाने की क्षमता नहीं है.