Thursday, December 10, 2009

नौ दिन का उपवास और हमारा मन

नवरात्री के नौ दिन के उपवास का क्या औचित्य है. जब अधिकांश लोग(भक्त) नौ दि्न के उपवास के बाद फिर से भाव शून्य होकर अपने कार्य में लग जाते है. लोगो की धारणा रहती है. कि अगर हर साल की तरह इस साल भी उपवास नही रखा तो शायद कुछ अनिष्ट हो जायेगा. और लोग तो केवल टाईमपास करने के लिये रहते है तो कुछ भक्त दुसरो की देखा देखी , बराबरी करने के लिये रहते है. मेरे मोहल्ले में इस वर्ष भी महिलाओ के बीच नवरात्री का उपवास रहने के लिये कुछ इसी तरह का माहौल मैने देखा. लोगो में मा दुर्गा के प्रति भक्त कम और शो-बाजी ज्यादा दिखाई पड़ा, कौन रामनवमी के दिन सबसे पहले नौ कन्याओ को भोजन कराकर पुण्य कमाएगा, कौन सबसे बड़ा भक्त बनेगा. और अपने ग्रुप में रौब जमायेगा. यहा बता दू की मै बहुत बड़ा भगवान भक्त नही हू. लेकिन इस तरह की दिखावे ने मुझे व्यथित किया. नवरात्र के दिन मै जब अपने घर समोसे,कचौरियाव जलेबी ले जा रहा था. तभी मौहल्ले की एक महिला ने मुझसे पूछा की मै क्या ले जा रहा हू ? उसने जब समोसा,जलेबी और कचौरिया देखी तो मन मसोस कर और अफसोस भरे लहसे से कहा कि छी मै उपवास हू इसलिये नही खा सकती, यह सूनकर मैने सोचा की कुछ लोगो की भक्ति साधारण भौतिक वस्तुओ से विचलित हो जाती है. हमारे मौहल्ले की अधिकतर सास अपने बहुओ की चुगली , और अधिकांश बहुये अपने सास की बदनामी मे जुटी रहती है. तो इनके नौ दिन उपवास रहकर नौ कन्याओ को भोजन कराना कौन सा पुण्य देगा.
(मेरा औचित्य किसी को ठेस पहुचाने का नही हौ. मैने जो महसूस किया उसे ही कहा है.)

Tuesday, December 1, 2009

A simple, yet very expressive!


MOTHER IS GOD'S Best GIFT
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कुछ समय पहले माँ की मर्ज़ी के
बिना इस घर का पत्ता भी नहीं हिलता था, अक्सर
उनकी एक हाँ से कितनी बार हमारे जीवन में खुशियों का अम्बार लगा मगर धीरे
धीरे उनकी शक्तिया और उन शक्तियों का महत्व कम होते होते आज नगण्य हो गया !


अब अम्मा से उनकी जरूरतों के बारे में कोई नहीं पूछता, सब अपने अपने में
व्यस्त है, खुशियों के मौकों और पार्टी आयोजनों से भी अम्मा को खांसी खखार
के कारण दूर ही रखा जाता है !


बाहर डिनर पर न ले जाने का कारण भी हम सबको पता हैं..... कुछ खा तो पायेगी
नहीं अतः होटल में एक और प्लेट का भारी भरकम बिल क्यों दिया जाये, और फिर
घर पर भी तो कोई चाहिए ...


और परिवार के मॉल जाते समय, धीमे धीमे दरवाजा बंद करने आती माँ की आँखों में छलछलाये आंसू कोई नहीं देख पाता !


Thursday, August 13, 2009

आज आपने अपने बच्चे को गले लगाया?


गर्मियों का एक सुहावना सा दिन था। हल्के से बादल घुमड़ आए थे। नीलिमा जल्दी ही घर से निकल आयी, शाम की वॉक का मज़ा उठाने के लिये। उनकी कॉलोनी के पार्क में लाफ्टर क्लब के लोग जमा थे। ठहाकों का सैशन चल रहा था। उसके बाद एक महिला टच थैरेपी पर कुछ बोलने लगी। नीलिमा का ध्यान तेज़ तेज़ वॉक करते हुए एक आखिरी बात पर अटक गया कि हम बच्चों से सम्मान की अपेक्षा रखते हैं, प्रेम सिखाने की बात करते हैं, उनकी गलतियां निकालते हैं, कोई मुझे यह बताएगा कि आज सुबह से आपने कितनी बार अपने बच्चे को गले से लगाया?

नीलिमा के मन में यह बात गूंजती रही और वह सुबह से अब तक के दिन के हिसाब में लग गई, उसे याद आया सुबह सुबह उसका किचन में पराग के कान उमेठना, `` तुम रात को भी दांत साफ किये बिना सो गये थे अब सुबह भी... !'' उसने सोचा कि `` मैं भूल गई थी उसे सुबह का आलिंगन देना, जबकि मुझे पता था पिछले होमवर्क के बोझ से वह इतना थक गया था कि मैं ने ही कहा था `` चलो सो जाओ।'' हालांकि वह पिछला होमवर्क उसके बच्चों को लेकर मायके चली गई थी और उनका स्कूल मिस हुआ था।
नीलिमा को अपनी ही तीखी आवाज़ें चुभने लगीं, `` सलोनी, अब तुम दसवीं में आ गयी हो, अपना लंचबॉक्स तुम खुद पैक कर सकती हो न। हम दसवीं में पूरे घर का खाना बनाते थे। आलसी होती जा रही हो।'' या फिर नीलिमा की शिकायत रहती है कि सलोनी कभी उसे बता कर नहीं जाती... कि कहां जा रही है। हमेशा जवाब मिलता है ``मोबाइल है ना चैक कर लेना कहा हूँ।''

यहां भी नीलिमा भूल रही थी कि सलोनी ने बाहर के बहत से काम बखूबी संभाल रखे हैं - फोन बिल्स जमा करना, बैंक का काम, सब्ज़ी भी ले आती है... उस पर चार मुख्य विषयों की ट्यूशन अलग करती है। उसकी बेटी आलसी तो ज़रा भी नहीं है। और गैरज़िम्मेदार या विवेकहीन भी नहीं।
उसने पिछले कई दिनों की जांच की। अरसा हो गया था वह न बच्चों के साथ खेली थी, न उनके साथ रूटीन बातों के अलावा उनकी निजी समस्याआें को लेकर खुलकर बात की

बच्चे जब से थोड़े बड़े हुए हैं, और उसने अपना बुटीक खोला है, बच्चों को कभी गले से लगाया ही नहीं। जबकि इस प्रेम की छोटी सी हरकत में मुश्किल से २० सैकण्ड लगते हैं।

यह समस्या केवल नीलिमा की नहीं हम सभी की है। हम अपनी व्यस्तताआें के घेरे को सचमुच के घेरे से कुछ ज़्यादा बड़ा खींच कर देखते हैं और प्रेम जताने के छोटे छोटे तरीकों को भूलते जा रहे हैं। नीलिमा खुद को याद है... उसे उसके पिता ने हमेशा गले लगाकर जगाया, मां ने स्कूल जाते समय हमेशा चूमा। आज भी पिता मिलते हैं तो गले लगाते हैं उसे ही नहीं, उसके पति को, बच्चों को भी। यह कभी हमारे जीने के तौर तरीकों में शामिल था। आगमन पर गले लगाना, विदा पर भी।

हम अपने बच्चों की गलतियां तो बहत जल्दी निकालने लगे हैं, उनकी तारीफ कम करने लगे हैं। हमने अपनी अपेक्षाएं पढ़ाई, कंप्यूटर, डांस, पब्लिक स्पीकींग सबमें इतनी बढ़ा ली हैं कि हमें कम में संतोष नहीं होता। उस पर हम सहज स्नेह की छोटी छोटी अभिव्यक्तियों से बचने लगे हैं। क्योंकि व्यस्त रहते हैं। एक आलिंगन के लिये व्यस्त? आलिंगन का अर्थ केवल गले लगाना ही नहीं है। बच्चों के लिये उनकी मनपसंद डिश बनाना भी एक तरह से प्रेम की अभिव्यक्ति है। बच्चों के साथ खेलना, उनकी छोटी समस्या का हल निकालना भी एक प्रेम प्रदर्शन है। उनके बालों पर हाथ फिरा देना, हाथ थाम लेना, हाथ दबा देना, माथा चूम लेना जैसे छोटे प्रेम प्रदर्शन भी एक आलिंगन का काम करते हैं।

आईए आज से इसे एक माता या पिता के तौर पर आदत बना लें। कई लोग तो यह नहीं जानते कि अपना प्रेम बच्चों के प्रति कैसे अभिव्यक्त करें। अगर आप अपने बच्चों से प्रेम करते हैं तो इतना तो करें कि प्रेम की समस्त ऊर्जा बच्चे तक पहुंचे। एक आलिंगन... पेम से भरा। क्यों छोटे बच्चों को रोने से चुप कराने के लिये सीने से लगाया जाता है? बच्चे उस प्रेम को समझ कर शान्त होकर सो जाते हैं। बच्चे अगर बड़े हो गये तो क्या उनकी यह ज़रूरत समाप्त हो गई... नहीं वे आज भी ऐसा चाहेंगे...केवल अच्छे पलों में नहीं... केवल फर्स्ट आने पर नहीं ...अपने कठिन पलों में भी ... बिगड़े हुए मूड में, स्कूल से डांट खाकर आने पर, गणित में कम नम्बर लाने पर।

कई भारतीय परिवारों में प्रेम के प्रदर्शन को गैरपारंपरिक व व्यर्थ माना जाता है। खासतौर से पिता ऐसे प्रेम के दिखावों से बचते हैं और बड़े होते बेटे को `गले लगाना' करना बंद कर देते हैं। उन्हें लगता है कि इससे बच्चा बिगड़ जायेगा या कि अब कोई उम्र है? अगर स्पर्शों की भाषा को हम बड़े नहीं भूले और प्रेम के दौरान इस भाषा का इस्तेमाल करते हैं तो बच्चों के साथ हमने यह भाषा सीमित क्यों कर दी है?

अपने व्यक्तित्व के विकास की ओर अग्रसर बच्चों को इस भाषा की ज़रूरत है... आपका बच्चा स्टेज पर परफॉर्म करने जा रहा है। उसे आपके प्रेम की ज़रूरत है। परीक्षा देने जा रहा है, उसे गले से लगा कर गुडलक कहें। नयी खूबसूरत ड्रेस पहनी है आपकी बिटिया ने उसका माथा चूम लें। शब्दों की आवश्यकता ही नहीं।

अकसर देखा गया है कि घर में प्रेम पाने वाले बच्चे जब घर से बाहर निकलते हैं पे्रम से छलछलाते हुए, इस आत्मविश्वास से भरे हुए कि वे दुनिया के सबसे अच्छे बच्चे हैं तो वे बाहर की झूठी प्रशंसा व प्रेम के मोहताज नहीं रहते और उनका विवेक उनकी उंगली थामे रहता है।

नीलिमा की दुनिया लाफ्टर क्लब की उस टच थैरेपी वाली महिला ने बदल दी। सलोनी हमेशा अब कहीं जाने से पहले मम्मी से गले लग कर जाती है और बातों बातों में बता देती है - आज आठ से बारह क्लास है, फिर मां बीच में आपकी साड़ी बुटीक से कलेक्ट कर लाऊंगी। उसके बाद दो ट्यूशन, फिर एक फ्रेण्ड की बर्थडे ट्रीट है, मॉम आते हुए सात बजेंगे। मोबाइल पर बात करती रहना।
पराग आजकल स्कूल से आते ही उससे लिपटता है, स्कूल की तमाम बातें बताता है। ये नहीं कि बैग फेंका और सीधे कंप्यूटर पर लगे गेम खेलने।
नीलिमा के पति सोम ने भी अपनी व्यस्तता में से वक्त निकाल कर बच्चों को दो पल प्रेम प्रदर्शन के देना सीख लिया है। वे घनी व्यस्तता में से समय निकाल कर सलोनी का मोबाइल मिलाते हैं, पूछते हैं -`` हां तो मेरा बेटा, आज कहां व्यस्त है? शाम को जल्दी आ सको तो हम साथ एक अच्छी फिल्म देखें।''
`` यस डैडी, मैं जल्दी पहुंचती हूँ।''
या सोम पराग केा स्पोर्ट्स मैगज़ीन में से क्रिकेटर्स के पिक्चर्स काट कर उसकी स्पोर्टस फाईल के लिये देते हैं।

बच्चों में बदलाव स्वाभाविक ही है। वे प्रेम पाएंगे वहीं खिंचे चले आएंगे और बंधे रहेंगे।


के . सुधा




Tuesday, July 21, 2009

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .
एक दोस्त है कच्चा पक्का सा ,
एक झूठ है आधा सच्चा सा .
जज़्बात को ढके एक पर्दा बस ,
एक बहाना है अच्छा अच्छा सा .
जीवन का एक ऐसा साथी है ,
जो दूर हो के पास नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .
हवा का एक सुहाना झोंका है ,
कभी नाज़ुक तो कभी तुफानो सा .
शक्ल देख कर जो नज़रें झुका ले ,
कभी अपना तो कभी बेगानों सा .
जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र ,
जो समंदर है , पर दिल को प्यास नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .
एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है ,
यादों में जिसका एक धुंधला चेहरा रह जाता है .
यूँ तो उसके न होने का कुछ गम नहीं ,
पर कभी - कभी आँखों से आंसू बन के बह जाता है .
यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में है ,
पर इन आँखों को उसकी तलाश नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं

सौरभ कुमार वर्मा ... आपका एक दोस्त

Wednesday, July 15, 2009

WHY MOTHER IS SO SPECIAL :


When I came home in the rain,
Brother asked why don't you take an umbrella.
Sister advised, Why didn't you wait till rain stopped.
Father angrily warned, only after getting cold, you will realize.
But Mother, while drying my hair, said, stupid rain ! Couldn't it wait, till my child come home?

That's MOM
...............................
जननी जन्मभूमि स्वर्गादपि गरीयसी

Mother and motherland are greater than heaven.


Saturday, June 20, 2009

ऐसा दोस्त चाहिए

ऐसा दोस्त चाहिए जो हमे अपना मान सके,
जो हमारा दिल को जान सके,
चल रहा हो हम तेज़ बेरिश मे,
फिर भी पानी मे से आँसुओ को पहचान सके!!!!

ख़ुश्बू की तरह मेरी सांसो मे रेहाना
लहू बनके मेरी नसनस मे बेहाना,
दोस्ती होती है रिस्तो का अनमोल गेहना
इसलिया इस दोस्ती को कभी अलविदा ना कहना.


याद आए कभी तो आँखें बंद मत करना
हम ना भी मिलें तो गम मत करना!!!!
ज़रूरी तो नही के हम नेट पेर हैर रोज़ मिलें
मगर ये दोस्ती का एहसास कभी कम मत करना

दोस्ती उन से करो जो निभाना जानते हो
नफ़रत उन से करो जो भूलना जानते हो
ग़ुस्सा उन से करो जो मानना जनता हो
प्यार उनसे करो जो दिल लुटाना जनता हो

बहते अश्को की ज़ुबान नही होती,
लफ़्ज़ों मे मोहब्बत बयां नही होती,
मिले जो प्यार तो कदर करना,
किस्मत हर कीसी पर मेहरबां नही होती.

ज़िंदगी गमो का पुलिंदा है,
ख़ुशियाँ आज कल चुनिंदा है,
कभी याद कर लिया करो इश्स नाचीज़ को,
ये शक्स अभी तक ज़िंदा है.

Friday, May 29, 2009

Life's Problems Are Something Like This.....

Professor began his class by holding up a glass with some water in it. He held it up for all to see & asked the students


"How much do you think this glass weighs?"

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'50gms!' .... '100gms!' .....'125gms' ...the students answered..

"I really don't know unless I weigh it," said the professor, "but, my question is:

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What would happen if I held it up like this for a few minutes?"

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'Nothing' …..the students said.

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'Ok what would happen if I held it up like this for an hour?' the professor asked.

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'Your arm would begin to ache' said one of the student

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"You're right, now what would happen if I held it for a day?"

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"Your arm could go numb, you might have severe muscle stress & paralysis & have to go to hospital for sure!"

….. ventured another student & all the students laughed

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"Very good.

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But during all this, did the weight of the glass change?" asked the professor.

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'No'…. Was the answer.

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"Then what caused the arm ache & the muscle stress?"

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The students were puzzled.

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"What should I do now to come out of pain?" asked professor again.

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"Put the glass down!" said one of the students

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"Exactly!" said the professor.

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Life's problems are something like this. Hold it for a few minutes in your head & they seem OK.

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Think of them for a long time & they begin to ache. Hold it even longer & they begin to paralyze you. You will not be able to do anything.

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It's important to think of the challenges or problems in your life, But EVEN MORE IMPORTANT is to 'PUT THEM DOWN' at the end of every day before You go to sleep.

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That way, you are not stressed, you wake up every day fresh & strong & can handle any issue, any challenge that comes your way!

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Sunday, May 24, 2009

------------Love----Love---Love------------

Manjilen bhi uski thi, Rasta bhi uska tha..
Ek main akela tha, Kafila bhi uska tha..
Sath-Sath chalne ki soch bhi uski thi,
Fir raasta badalne ka faisla bhi uska tha..
Aaj kyun akela hoon, Dil sawal karta hai,
Log to uske the, Kya khuda bhi uska tha?

Ek din hamare annsoon humse pooch baithe,
humey roz -roz kyon bulate ho,
Humne kaha hum yaad to unhe karte hain tum kyon chale aate ho.

kasur na unka hai na mera,
hum dono hi rishton ki rasmein nibhate rahe,
wo dosti ka ehsaas jatate rahe,
hum mohabbat ko dil mein chupate rahe.

nakaam si koshis kiya karte hai,
hum hai ki unse pyar kiya karte hai,
khuda ne takdir mein tuta tara bhi nahi likha,
aur hum hai ki chand ki aarzu kiya karte hai.

Kismat par aitbar kisko hai,
Mil jaye khushi inkaar kisko hai,
Kuch majburian hain mere dost,
Warna judai se pyaar kisko hai.

Har phool ki ajab kahani hai,
chup rehna bhi pyar ki nishani hai,
kahin koi zakhm nai phir bhi kyun dard ka ehsas hai,
lagta hai dil ka ek tukda aaj bhi uske paas hai.

Friday, April 10, 2009

By all Means... MARRY........

By all means marry. If you get a good wife, you'll be happy. If you get a bad one, you'll become a philosopher.
------Socrates

"I've had bad luck with both my wives. The first one left me, and the second one didn't."
------Patrick Murray

I recently read that love is entirely a matter of chemistry. That must be why my wife treats me like toxic waste.
------David Bissonette

When a man steals your wife, there is no better revenge than to let him keep her.
------Sacha Guitry

After marriage, husband and wife become two sides of a coin; they just can't face each other, but still they stay together.
------Hemant Joshi

Woman inspires us to great things, and prevents us from achieving them.
------Dumas

The great question... which I have not been able to answer... is, "What does a woman want?
------Sigmund Freud

I had some words with my wife, and she had some paragraphs with me.
------Anonymous

"Some people ask the secret of our long marriage. We take time to go to a restaurant two times a week. A little candlelight, dinner, soft music and dancing. She goes Tuesdays, I go Fridays."
------Henny Youngman

"I don't worry about terrorism. I was married for two years."
------Sam Kinison

"There's a way of transferring funds that is even faster than electronic banking. It's called marriage."
------James Holt McGavran

Two secrets to keep your marriage brimming
1. Whenever you're wrong, admit it,
2. Whenever you're right, shut up.
------Nash

The most effective way to remember your wife's birthday is to forget it once...
------Anonymous

You know what I did before I married? Anything I wanted to.
------Henny Youngman

My wife and I were happy for twenty years. Then we met.
------Rodney Dangerfield

A good wife always forgives her husband when she's wrong.
------Milton Berle

Marriage is the only war where one sleeps with the enemy.
------Anonymous

A man inserted an 'ad' in the classifieds: "Wife wanted". Next day he received a hundred letters. They all said the same thing: "You can have mine."
------Anonymous

Thursday, March 12, 2009

PEOPLE COME INTO YOUR LIFE FOR A REASON


People come into your life for a reason, a season or a lifetime. When you know which one it is, you will know what to do for that person.

When someone is in your life for a REASON, it is usually to meet a need you have expressed. They have come to assist you through a difficulty, to provide you with guidance and support, to aid you physically, emotionally or spiritually.

They may seem like a godsend and they are. They are there for the reason you need them to be. Then, without any wrongdoing on your part or at an inconvenient time, this person will say or do something to bring the relationship to an end.

Sometimes they die. Sometimes they walk away. Sometimes they act up and force you to take a stand. What we must realize is that our need has been met, our desire fulfilled, their work is done. The prayer you sent up has been answered and now it is time to move on.


Some people come into your life for a SEASON, because your turn has come to share, grow or learn. They bring you an experience of peace or make you laugh. They may teach you something you have never done. They usually give you an unbelievable amount of joy.

Believe it, it is real. But only for a season.!

LIFETIME relationships teach you lifetime lessons, things you must build upon in order to have a solid emotional foundation. Your job is to accept the lesson, love the person and put what you have learned to use in all other relationships and areas of your life. It is said that love is blind but friendship is clairvoyant.


Thank you for being a part of my life, whether you were a reason, a season or a lifetime.

------Sourav Kumar Verma------

Sunday, February 8, 2009

Facts about Women

If you kiss her, you are not a gentleman.
If you don't you are not a man.

If you praise her, she thinks you are lying.
If you don't, you are good for nothing.

If you visit her often, she thinks it is boring.
If you don't, she accuses you of double crossing.

If you are well dressed, she says you are a playboy.
If you don't, you are a dull boy.

If you are jealous, she says it's bad.
If you don't, she thinks you do not love her.

If you attempt a romance, she says you didn't respect her.
If you don't, she thinks you didn't like her.

If you are a minute late, she complains its hard to wait.
If she is late, she says that's a girl's way.

If you visit another man, you are not putting in "quality time".
If she is visited by another man, "oh it's natural, we are girls."

If you kiss her once in a while, she professes you are cold.
If you kiss her often, she yells that you are taking advantage.

If fail to help her crossing street, you lack ethics.
If you do, she thinks its just one of men's tactics for seduction.

If you stare at another woman, she says that you are flirting.
If she is stared by other men, she says that they are just admiring.

If you talk, she wants you to listen.
If you listen, she wants you to talk.