Saturday, July 28, 2012

माना वक़्त नहीं और बाकी कई काम सही

माना वक़्त नहीं और बाकी कई काम सही
राह भी हैं लम्बी और ढलती ये शाम सही
अंजाम से पहले खुद को ना नकारुंगा
वादा हैं मेरा कि मैं नहीं हारूँगा

जीत के बनेंगी पायदान चट्टानें मुश्किलों की
हिम्मतो से बदलूँगा लकीरे इन हथेलियों की
कि हस्ती अब अपनी हर कीमत सवारूँगा
वादा हैं मेरा कि मैं नहीं हारूँगा

चाहए कितनी ही स्याह मायूसी नजर आती हो
हौसलों कि चांदनी चाहे मद्धम हुई जाती हो
कर मजबूत खुद को वक़्त-ऐ-मुफलिसी गुजारूँगा
वादा हैं मेरा कि मैं नहीं हारूँगा

आफताब नहीं तो क्या ऑंखें उम्मीद से रोशन हैं
ज़माने को नहीं तो क्या मुझे भरोसा हरदम हैं
पाउँगा मंजिल ख्वाबो की चाँद जमी उतारूंगा
वादा हैं मेरा कि मैं नहीं हारूँगा

ख्वाइश

कुछ ख्याल जब सपने नहीं बन पते तो लब्स बन जाते है वो लब्स या तो खत मे पहुच जाते है या फिर किताबो मे अपनी जगह बना लेते है कहते है ख्वाइश से बढ़ कर कभी कुछ नहीं होता ख्वाबो से बढ़ी अगर कोई चीज है वो है ख्वाइश

Thursday, July 19, 2012

वोह हमारे थे, यह बताना अजीब सा लगता है

वोह हमारे थे, यह बताना अजीब सा लगता है,अब उनसे आँखें मिलाना अजीब सा लगता है

जो ज़िन्दगी में हमारे ना हो पाए कभी अब उनका ख्वाबों में आना अजीब सा लगता है

बडे ही खुलूस से दावत उन्हों ने भेजी थी लेकिन उनकी महफिल में जाना अजीब सा लगता है,

था कभी जिनका हाथ हमारे हाथों में अब उनसे हाथ मिलाना अजीब सा लगता है.


Sunday, July 1, 2012

Idea


A man & a woman who never met before, find themselves on upper & lower berth of a long distance train.At 2 am, Man leans over saying, "Ma'm, sorry to bother you, Would you be kind enough to give me a 2nd blanket from the side table. Its awfully cold.
 




"I have a better idea",she replied,"Just for tonight, why don't we pretend that we are married !!
"Great idea Madam.". He replied in excitement.
She says,"Well then Get up & take it yourself."