Monday, December 27, 2010

I'm sorry - I was wrong.

Too often we don't realize
What we have until it is gone
Too often we wait too late to say
"I'm sorry - I was wrong."

Sometimes it seems we hurt the ones
We hold dearest to our hearts
And we allow foolish things
To tear our lives apart

Far too many times we let
Unimportant things into our minds
And then it's usually too late
To see what made us blind

So be sure that you let people know
How much they mean to you
Take that time to say the words
Before your time is through

Be sure that you appreciate
Everything you've got
And be thankful for the
Little things in life
That mean a lot

Friday, November 19, 2010

Mobile hai hr larke ki shan…

Mobile hai hr larke ki shan,
Call kar k larkiyon ko krte hain pareshan
MISS BELL or Sms kar k kehte hen meri jan
Tumhari awaz sunne ko tarastey hn mere kaan,
12 girlfrnd bana kar akkarte hain pehlwaan,
Apne frndz ko har raaz bata kr karte hen heran,
Kehte hen larkiyon ko ullu banana buhat he asaan,
Hosh karo girls nadaan, ankhen khol k pehchan,
Mat aao in larkon k chakkar me ye sab hen shetan
Ab ksi larke ki call ay To usko bolna GEE bhai jan

Sunday, November 14, 2010

अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया...

अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया
जिसको गले लगा लिया वो दूर हो गया

कागज में दब के मर गए कीड़े किताब के
दीवाना बे पढ़े-लिखे मशहूर हो गया

महलों में हमने कितने सितारे सजा दिये
लेकिन ज़मीं से चाँद बहुत दूर हो गया

तन्हाइयों ने तोड़ दी हम दोनों की अना
आईना बात करने पे मज़बूर हो गया

सुब्हे-विसाल पूछ रही है अज़ब सवाल
वो पास आ गया कि बहुत दूर हो गया

कुछ फल जरूर आयेंगे रोटी के पेड़ में
जिस दिन तेरा मतालबा मंज़ूर हो गया


-बशीर बद्र

Monday, August 30, 2010

भाई- बहन के प्यार की कहानी – कच्चे धागे


मुझे मेडिकल में एडमिशन मिल गया था ! मैं बहुत खुश थी ! सभी बहुत खुश थे ! एक छोटे से कस्बे से बडे शहर में आना बहुत अच्छा लग रहा था ! हालांकि शहर में मामा-मामी थे ! उनके बेटे यानि बिट्टू भईया थे ! भाभी थी ! बच्चे थे !परंतु पढाई की वजह से मैंने होस्टल में ही रहना ज्यादा अच्छा समझा ! इससे रिश्तेदारी में प्यार भी बना रहता है और किसी को कुछ कहने का मौका भी नहीं मिलता ! बीच बीच में मैं समय निकाल कर मामा-मामी और भाभी-बच्चों से मिल आती थी ! बिट्टू भईया का बहुत अच्छा गारमेंट का शो-रूम था ! अच्छा बिज़नेस था ! लेकिन उनसे कभी भेंट नहीं हो पाती थी ! पक्के बिज़नेसमैन बन गए थे ! पैसे के पीर ! जब भी मैं उनके घर जाती तो भईया अपने शो-रूम में होते ! रात को घर लेट ही आते थे ! उनका बस चलता तो शायद वो रात को भी वहीं सो जाते ! इतवार को और छुट्टी वाले दिन तो उनके शो-रूम में बहुत रश होता था ! सो उनका हाल-चाल भाभी से ही पूछ लेती !

Monika भाई बहन के प्यार की कहानी कच्चे धागे हम तीन बहनें ही हैं ! भाई कोई है नहीं ! मैं सबसे छोटी हूं ! सभी मुझे बहुत प्यार करते हैं ! मामा-मामी के साथ बिट्टू भईया भी कभी कभार हमारे यहां हमें मिलने आते रह्ते थे ! परंतु जब से उन्होंने शो-रूम खोला है उनका आना जाना लगभग न के बराबर ही हो गया था ! दोनो बडी बहने दुबली-पतली थीं ! मेरा शरीर थोडा भरा हुआ था ! हालांकि मैं इतनी मोटी नही थी पर बिट्टू भईया मुझे “मोटो” कहकर चिढाते थे ! मैं भी उनको “सुकडू” कहकर अपना बदला चुका लेती थी ! वो जब भी हमारे यहां आते तो मुझे बहुत प्यार करते थे ! मेरे लिए हमेशा कोई न कोई उपहार लेकर आते !

छोटा कस्बा था ! सभी एक दूसरे से प्यार से रहते थे ! सभी एक दूसरे को जानते थे तथा दुख सुख में बराबर शरीक होते थे ! भाई की कमी क्या होती है उस समय मालूम न था ! मैं छोटी थी ! मेरे लिए राखी का मतलब आस-पडौस के लडकों को राखी बांध देना और बदले में टाफी-चाकलेट और मिठाई आदि ले लेना भर था ! राखी बांधने के जो पैसे मिलते थे वो मां रख लेती थी ! थोडी सी बडी हुई तो सोचती थी कि अपना भी भाई होना चाहिए था ! फिर भी इस बात को लेकर कभी ज्यादा मलाल नहीं रहा ! हर राखी पर मां या बडी दीदी बिट्टू भईया को राखी डाक से भेज देतीं थीं ! जब भी हमारे घर से कोई कभी उनके घर जाता या उनके घर से कोई हमारे घर आता तो हमे राखी बांधने (डाक से भेजने) के बदले सूट या कोई अन्य उपहार मिल जाता था !

घर से कभी इस प्रकार इतने दिनो के लिए दूर नहीं रही थी ! पहली बार होस्टल में आई थी ! होस्टल की जिन्दगी भी एक अलग तरह की जिन्दगी होती है ! अपने घर से दूर ! मां-बाप से दूर ! अपनी निजी दुनिया से दूर ! जहां आपको अपने सभी काम खुद ही करने पडते हैं ! अपना ख्याल भी खुद ही रखना पडता है ! अपना भला-बुरा भी खुद ही समझना पडता है ! सम्भल गये तो ठीक वरना बिगडने में कोई देर नही लगती ! जहां आप अपने दिल की हर बात हर किसी से नहीं कह सकते ! सहेलियां थीं ! रूम-मेट भी थी ! लेकिन फिर भी ऐसा लगता था कि कहीं न कहीं कोई कमी है ! कोई चीज़ ऐसी है जो होनी चाहिए थी लेकिन है नहीं ! कोई अपना नहीं था ! कभी कभी दिल बहुत ही उदास हो जाता था ! दिल करता था सब कुछ छोड कर इस पिंजरे तो तोड कर भाग जाऊं ! फिर डाक्टर बनने के सपने के बारे में सोच कर मन मसोस कर रह जाती !

राखी का त्यौहार नज़दीक आ रहा था ! मां हर बार मुझे फोन पर बिट्टू भईया को राखी बांधने की हिदायत देना नहीं भूलती थीं ! साथ में उनकी मनपसन्द मिठाई ले जाने की ताकीद भी रहती थी ! मैं पहली बार बिट्टू भईया को राखी बांधने जा रही थी ! मैं पहली बार ‘अपने’ भाई को राखी बांधने जा रही थी ! मैं बहुत खुश थी ! बहुत उत्साहित थी ! जैसे कोई प्रतियोगिता जीतने जा रही होंऊ ! मन ही मन कई मनसूबे बनाती ! राखी कहां से लेनी है ! किस तरह की लेनी है ! उस पर क्या लगा होना चाहिए ! यदि कुछ लिखा हो तो क्या लिखा होना चाहिए ! फिर मिठाई में क्या लेना है ! मोतीचूर के लड्डू ! नहीं ! सोहन पापडी ! नहीं ! बंगाली रसगुल्ले ! नहीं…नहीं…नहीं ! काजू की बर्फी ! काजू… की… बर्फी ! हां…यह…. ठीक… है ! काजू की बर्फी ही ठीक रहेगी ! लेकिन काजू की बर्फी कहां से ली जाय ! यहां सबसे अच्छी दुकान कौन सी है ? किससे पूंछू ? मामी के घर में से तो किसी से भी नही पूछ्ना है ! उनको बताये बिना ही सरपराईज़ देना है भईया को ! बस बर्फी का डिब्बा और राखी का पैकेट लेकर चुन्नी से अपना सिर ढककर चुपचाप भईया के पास जाकर बैठ जाउंगी ! पहले प्लेट में थोडा सा पानी लेकर सिन्दूर और चावल को अच्छी तरह से मिक्स करके भईया को बडा सा तिलक लगाउंगी ! फिर सुन्दर सी राखी बांधूगी ! उसके साथ ही रेशम की डोरी बांध दूंगी ! भईया की लम्बी उम्र के लिए भगवान से प्रार्थना करूंगी ! उसके बाद डिब्बे में से बर्फी निकाल कर इकट्ठे चार-पांच टुकडियां भईया के मुंह में ठूस दूंगी !

राखी के एक दिन पहले क्लास से दो पीरियड मिस करके बाज़ार गई ! कई दुकाने घूमी ! कई तरह की राखियां देखी ! सबसे अच्छी लेने के चक्कर में तीन-चार घंटे कब बीत गए पता ही नहीं चला ! बहुत माथा पच्ची करने के बाद एक सुन्दर सी राखी खरीदी ! साथ में डिज़ाईनदार सफेद नगों वाली रेशम की डोरी ली ! सिन्दूर आदि की रेडीमेड प्लेट ली ! अपने रूम में पहुंची तो वारडन मैम का बुलावा आ गया ! इतनी देर होस्टल से गायब रहने के लिए खूब डांट पडी !

राखी खरीद कर मैं बहुत खुश थी ! कई बार लिफाफे में से निकाल कर निहार चुकी थी ! फिर निकालती फिर देखती और सहला कर रख देती ! मन भरता ही नहीं था ! कितनी सुन्दर लगेगी भईया की कलाई पर यह राखी ! कितने मजबूत होते हैं ये कच्चे धागे ! कितना प्यार, कितना विश्वास झलकता है इन रीति-रिवाजों में ! बहन-भाई के प्यार को दर्शाने वाला यह त्यौहार किसी ने बहुत सोच समझ कर बनाया होगा ! काजू की बर्फी कल सुबह ही लेनी पडेगी ! रात को लेकर रख ही नहीं सकती थी ! यह जो होने वाली डाक्टरनियां हैं न मेरी सहेलियां, इनको पता चल गया न कि मिठाई आई है तो पांच मिनट में पूरा डिब्बा खत्म ! भूखी हैं बिलकुल ! कल सुबह जल्दी उठना पडेगा ! नहा-धोकर राखी वगैरह लेकर काजू की बर्फी अच्छे से पैक करा के फिर बिट्टू भईया के घर जाऊंगी ! बिलकुल सुच्चे मुंह ! बिना कुछ खाये-पीये ! कहते हैं कि बहन को सुच्चे मुंह भाई को राखी बांधनी चाहिए ! सच्चे मन से भगवान से भाई की लम्बी उम्र की दुआ करनी चाहिए !

रात को बार बार नींद खुल जाती थी ! ठीक से सो ही नही पाई ! चिंता थी कि कहीं देर न हो जाय ! उठ उठ कर घडी देखती ! सुबह पांच बजे के बाद ऐसी घुरकी लगी कि सात बजे आंख खुली ! जल्दी जल्दी सब काम निपटाये ! नहा-धोकर नया सूट पहना ! निकलते निकलते नौ बज गए ! बहुत देर हो गई थी ! अभी बर्फी लेनी बाकी थी ! बाहर आई तो चारों तरफ भीड ही भीड थी ! कहीं कारों-बसों की चिल्ल पों तो कहीं स्कूटर-मोटर साईकिल की तेज रफ्तारी ! सभी लदे पडे थे ! सभी भाग रहे थे ! किसी के पास बात करने का भी समय नही था ! कोई बस, कोई रिक्शा, कोई आटो खाली नहीं था ! बहुत देर तक इंतज़ार करती रही ! बडी मुश्किल से एक टैक्सी मिली ! सुन्दर डिज़ाईन वाले डिब्बे में बर्फी का गिफ्ट पैक बनवाया ! भईया के घर जाने के लिए भागी भागी बस स्टाप पर आ गई ! जो भी बस आती सवारियों से लदी-पदी आती ! यहां से तो उनका घर बहुत दूर है ! टैक्सी तो बहुत मंहगी पडेगी ! लेकिन कोई टैक्सी भी दिखाई नहीं दे रही ! सौभाग्य से एक बस स्टाप पर आकर रूकी ! बडी मुश्किल से पायदान पर पैर रखने की जगह बना पाई ! बस से उतर कर दौडती-दौडती मामी के घर पंहुची ! घर पहुंच कर पता लगा कि भईया तो कब के शो-रूम में चले गए हैं ! सारी मेहनत, सारी दौडधूप, सारी तैयारियां बेकार ! लेकिन नहीं आज तो राखी है ! फिर तो यह त्यौहार एक साल बाद ही आयेगा ! और मैं तो भईया को पहली बार राखी बांधने जा रही थी ! अपने भईया को ! कोई बात नहीं ! मैं शो-रूम में जाकर ही राखी बांध दूंगी ! लेकिन शो-रूम तक जाने में लगभग दो घंटे लग जायेंगें ! दो बसे बदलनी पडेंगीं ! परवाह नहीं ! उठ कर चल दी ! मामी और भाभी रोकते-बुलाते रहे ! पर मैं न रूकी ! रूकी तो भैया के शो-रूम में जाकर !

शो-रूम में पहुंचते पहुंचते एक बज गया था ! सुबह से कुछ खाया पीया भी नहीं था ! भूख और भागदौड के कारण जान निकल रही थी ! लेकिन मैं अपनी मंज़िल पर पहुंच गई थी ! भईया को राखी बांध कर फिर आराम से खाऊंगी ! प्यास भी बहुत लगी हुई थी ! भईया अपने आप ही कुछ खिला-पिला देंगें ! शो-रूम में रश था ! भईया और मामा जी काउंटर पर थे ! भईया बिल बना रहे थे मामा जी पैसे ले रहे थे ! सभी सेल्समैन अपने अपने काम में व्यस्त थे !

मैं मिठाई का डिब्बा और राखी लेकर भईया के पास काउंटर पर चली गई ! भईया ने एक बार मेरी तरफ देखा ! फिर काम में लग गए ! मैं वहीं पर खडी इंतज़ार करती रही ! दस-पंद्रह मिनट तक इंतज़ार करने के बाद मैंने भईया से कहा – “सारी भईया, देर हो गई ! असल में मैं पहले आपके घर गई थी ! लेकिन आप यहां आ गए थे ! बसों के धक्के खाते खाते आपके पास पहुंची हूं ! मैंने सुबह से कुछ खाया भी नहीं है ! आप थोडा टाईम निकाल कर पहले राखी बंधवा लो !”

भईया ने एक बार नज़र उठा कर मेरी ओर देखा ! हाथ से रूकने का इशारा किया और फिर बिल बनाने लग गए ! बिल बनाकर मेरी ओर मुडे ! काउंटर पर रखा मेरे द्वारा लाया गया बर्फी का डिब्बा और राखी का पैकेट उठाकर काउंटर के नीचे एक तरफ रख दिया ! गल्ले में से कुछ सौ-सौ के नोट निकाल कर मेरी ओर बढा दिए ! मैं अवाक भईया को देखने लगी ! मेरा माथा घूम गया ! मैं समझ ही नहीं पा रही थी कि मैं क्या करूं ! मैं समझ ही नहीं पा रही थी कि मैं क्या कंहू ! मेरे आंसू बेकाबू हो रहे थे ! मेरा दिमाग काम ही नहीं कर रहा था ! मैं वहां पर खडी नहीं रह पा रही थी ! मैं एकदम से बाहर की ओर भागी ! मुझे नहीं पता कि मैं होस्टल कैसे पहुंची ! बस अपने कमरे में आकर बिस्तर में मुंह गडा कर बहुत रोई……बहुत रोई…..रोती रही…..रोती रही !

इस बात को आज 27 साल हो गए हैं ! उसके बाद मैं किसी की कलाई पर यह “कच्चे धागे” बांधने का साहस नहीं जुटा पाई !



~राम कृष्ण खुराना

कॉपी  : http://khuranarkk.jagranjunction.com

Tuesday, July 6, 2010

जा रहे हो अगर दूर मुझसे सनम

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जा रहे हो अगर दूर मुझसे सनम
फिर मेरे पास आना नहीं
यह भी मुमकिन नहीं मैं पलट न सकू
इसलिए इतना वादा करो

मुझको आवाज़ देना नहीं.....

मिल भी जाएँ अगर हम तुम्हें राह में
फेर लेना नज़र पर मिलाना नहीं
देख लू भी अगर तुम हमें भूल से
अपनी आँखों में तुम अश्क लाना नहीं
दिल से हमको तो तुम कर चुनके हो जुदा
आँख से भी गिरना नहीं

तुमने मांगी दुआ हमको मिले हर ख़ुशी
तुम ही मेरी ख़ुशी फिर क्यूँ मिले न हमें
तुमने ली है कसम गम न करना कभी
तुम सिखादो ज़रा मुस्कुराना हमें
तुमने कह तोह दिया याद करना नहीं
ख्वाब में तुम भी आना नहीं

जा रहे हो अगर

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Monday, June 28, 2010

कुछ नहीं चाहा

कुछ नहीं चाहा है तुमसे
पर तुम एक खूबसूरत मोड़ हो
जहाँ ठहरने को मन करता है
कुछ पल चुनने का मन करता है
तुम्हे पकड़ पास बिठाने को मन करता है

कुछ नहीं चाहा है तुमसे
तुम एक लगाव हो
जिसे कुछ सुनाने को मन करता है
कुछ भी कहने को मन करता है
तुम्हे पुकार बस हाँ या ना कहने को मन करता है
कुछ नहीं चाहा है तुमसे
तुम एक पर खूबसूरत मोड़ हो
जहाँ ठहरने को मन करता है।

- रजनी भार्गव

रचना और तुम

मेरी रचना के अर्थ बहुत हैं
जो भी तुमसे लग जाय लगा लेना

मैं गीत लुटाता हूँ उन लोगों पर
दुनियाँ में जिनका कुछ आधार नहीं
मैं आँख मिलाता हूँ उन आँखों से
जिनका कोई भी पहरेदार नहीं

आँखों की भाषा तो अनगिन हैं
जो भी सुन्दर हो वह समझा देना।

पूजा करता हूँ उस कमजोरी की
जो जीने को मजबूर कर रही है।
मन ऊब रहा है अब इस दुनिया से
जो मुझको तुमसे दूर कर रही है

दूरी का दुख बढ़ता जाता है
जो भी तुमसे घट जाए घटा लेना

कहत है मुझ से उड़ता हुआ धुँआ
रुकने का नाम न ले तू चलता जा
संकेत कर रहा है नभ वाला घन
प्यासे प्राणों पर मुझ सा गलता जा

पर मैं प्यासा हूँ मरूस्थल सा
यह बात समंदर को समझा देना

चाँदनी चढ़ाता हूँ उन चरणों पर
जो अपनी राहें आप बनाते हैं
आवाज लगाता हूँ उन गीतों को
जिनको मधुवन में भौंरे गाते हैं

मधुवन में सोये गीत हजारों है
जो भी तुमसे जग जाए जगा लेना

- रमानाथ अवस्थी

Sunday, April 18, 2010

TO ACHIVE YOUR DREAMS REMEMBER YOUR ABC

Avoid negative sources, people, places, things and habits.
Believe in yourself
Consider things from every angle
Don't give up and don't give in.
Enjoy life today, yesterday is gone, tomorrow may never come.
Family and friends are hidden treasures, seek them and enjoy their riches.
Give more than you planned to.
Hang on to your dreams.
Ignore those who try to discourage you.
Just do it
Keep trying no matter how hard it seems, it will get easier.
Love yourself first and most.
Make it happen.
Never lie, cheat or steal, always strike a fair deal.
Open your eyes and see things as they really are.
Practice makes perfect.
Quitters never win and winners never quite.
Read, study and learn about everything important in your life.
Stop procrastinating.
Take control on your own destiny.
Understand yourself in order to better understand others.
Visualize it.
Want it more than anything.
Xcellerate your efforts.
You are unique of all God's creations, nothing can replace you.
You do not know, what you can do, until you try.
Zero in on your target and go for it.

Wednesday, April 14, 2010

IT Facts

Project Manager is a Person who thinks nine women can deliver a baby in One month.

Developer / Designer is a Person who thinks it will take 18 months to deliver a Baby.

KAM is one who thinks single woman can deliver nine babies in one month.

Client is the one who doesn't know why he wants a baby.

Director is a person who thinks he can deliver a baby even if no man and woman are available.

Resource Optimization Team thinks they don't need a man or woman; they'll produce a child with zero resources.

Documentation Team thinks they don't care whether the child is delivered, they'll just document 9 months.

Quality Auditor is the person who is never happy with a delivered baby.

Tester is a person who always tells that this is not the Right baby.

HR Manager is a person who thinks that... a Donkey can deliver a Human Baby - if given 9 Months !!!


Wednesday, April 7, 2010

Interesting Facts about Women.

Interesting Facts about Women.




  • Women do NOT want an honest answer to the question, “How Do I look?”
  • Women do NOT want an honest answer to the question “Is that girl good looking?”
  • Women thinks there are never wrong. Apologizing is the man’s responsibility.
  • When a woman answer, “I am fine.”, After a few seconds, she is not fine.
  • One average, a woman kisses about 74 men before getting married!
  • A girl who stays at home knows much more than a gay who is 20, having out most of the day!!! (the power of GOSSIP.)
  • Most of the girls open their mouth while applying mascara.
  • All girls are not 100% committed in love.
  • Now days girls are not sincere to love compare to guys.


Friday, April 2, 2010

बहाना ढूंढ़ लिया...


कुछ रोज गुजारने की खातिर,एक आशियाना ढूंढ़ लिया
ता-उम्र होश में न आ सकू, ऐसा एक मयखाना ढूंढ़ लिया

क्या मालूम था मुझे, के होगी झूठी वो महफिले अपनी
अब आयी अक्ल, के जीने की खातिर वीराना ढूंढ़ लिया

पूछेगा गर खुदा मुझको,लाये क्या हो उस जहा से तुम
कर दूंगा नजर ये दिल टुटा, ऐसा एक नजराना ढूंढ़ लिया

मिलती नही जो इस दुनिया में,एक पहचान अब मुझको
अक्स जो देखा शीशे में अपना, के कोई बेगाना ढूंढ़ लिया

अपनी सूरत-ऐ-हाल पे हसता है ये सारा जमाना
हम भी समझेंगे के लोगो ने, हसने का बहाना ढूंढ़ लिया