Sunday, February 19, 2012

कभी बेवकूफों को सलाह मत दो

एक समय की बात है, नर्मदा नदी के तट पर एक बड़ा सा बरगद का पेड़ था जिसकी मोटी शाखाऐं दूर-दूर तक फैली हुयी थीं। उस पेड़ पर चिड़ियों का एक परिवार रहता था। बरगद का पेड़ भारी बारिश के दिनों में भी चिड़ियों की रक्षा करता था।

मानसून के समय एक दिन आकाश में काले बादल छाए हुए थे। जल्द ही भयंकर बारिश शुरू हो गयी। भयंकर तूफानी बारिश से बचने के लिए बंदरों का एक समूह उस पेड़ के नीचे शरण लिए हुए था। वे ठंड के मारे कांप रहे थे। चिड़ियों ने बंदरों की दुर्दशा देखी।

उनमें से एक चिड़िया ने बंदरों से कहा - "अरे बंदरों! हर बारिश के मौसम में तुम लोग इसी तरह क्यों परेशान होते रहते हो? हमें देखो, हम लोग अपनी सुरक्षा के लिए इस चोंच की सहायता से घास का तिनका-तिनका जोड़ कर घोंसला बनाते हैं। परंतु ईश्वर ने तुम्हें दो हाथ और दो पैर दिए हैं जिनका उपयोग तुम लोग खेलने-कूदने में ही करते हो। तुम लोग अपनी सुरक्षा के लिए घर क्यों नहीं बनाते?"

इन शब्दों को सुनकर बंदरों को गुस्सा आ गया। उन्होंने सोचा कि चिड़ियों की हमसे इस तरह से बोलने की हिम्मत कैसे हुयी। बंदरों के सरदार ने कहा - "सुरक्षित तरीके से अपने घोसले में बैठकर हमे उपदेश दे रही हैं। रुकने दो बारिश को, तब हम उन्हें मजा चखायेंगे।"

जैसे ही बारिश रुकी, बंदर पेड़ पर चढ़ गये और उन्होंने चिड़ियों को घोंसलों को तबाह करना शुरू कर दिया। उन्होंने घोंसलों और उसमें रखे अंडों को उठाकर जमीन पर पटक दिया। बेचारी चिड़ियाँ अपनी जान बचाकर इधर-उधर भागने लगीं।

किसी ने सही ही कहा है, सच्ची सलाह केवल गंभीर लोगों को ही देनी चाहिए और वह भी केवल मांगे जाने पर। बेवकूफ व्यक्ति को सलाह देने का अर्थ है

अपने विरुद्ध उसके गुस्से को भड़काना।

Friday, February 10, 2012

!!! क्या जरुरी है की हर बात को बताया जाये !!!

क्या जरुरी है की हर बात को बताया जाये,
बेहतर है कभी कभी चुप भी रहा जाये,
जो समझगे, वो समझ जायेगे खामोसी भी तुम्हारी
जो न समझे , भला समझाया जाये