Saturday, October 1, 2011

हमने देखि है उन आंखों की महकती खुशबू

हमने देखि है उन आंखों की महकती खुशबू
हाथ से छु के इससे रिश्तों का इल्जाम न दो
सिर्फ़ एहसास है यह, रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो
हमने देखि है उन आंखों की महकती खुशबू
हाथ से छु के इससे रिश्तों का इल्जाम न दो




हमने देखि है उन आंखों की महकती खुशबू
प्यार कोई बोल नहीं, प्यार आवाज़ नहीं
एक खामोशी है, सुनती है कहा करती है
यह बुझती है, न रूकती है, न ठहरी है कहीं
नूर की बूँद है सदियों से बहा करती है
सिर्फ़ एहसास है यह, रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो

हमने देखि है
मुस्कराहट से खिली रहती है आंखों में कहीं
और पलकों पे उजाले से रुके रहते हैं
होंठ कुछ कहते नहीं, कांपते होंठों पे मगर
कइतने खामोश से अफसाने रुके रहते हैं
सिर्फ़ एहसास है यह, रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो
हमने देखि है उन आंखों की महकती खुशबू
हाथ से छु के इससे रिश्तों का इल्जाम न दो
हमने देखि है…

!!! गुलज़ार फिल्म ख़ामोशी !!!

1 comment:

  1. जाम ऐसा तेरी आँखों से अता हो जाए
    होश बाकी रहे और नशा भी हो जाए

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