Thursday, November 22, 2012

बचाओ बचाओ

डूबते हुए आदमी ने
पुल पर चलते हुए आदमी को
आवाज़ लगायी "बचाओ बचाओ"
पुल पर चलते आदमी ने नीचे
रस्सी फेंकी और कहा आओ...

नदी में डूबता हुआ आदमी
रस्सी नही पकड़ पा रहा था
रह रह कर चिल्ला रहा था
मैं मरना नही चाहता
जिन्दगी बड़ी महंगी है
कल ही तो मेरी एक MNC में नौकरी लगी है....
इतना सुनते ही पुल पर चलते
आदमी ने अपनी रस्सी खींच ली
और भागते भागते वो MNC गया
उसने वहाँ के HR को बताया की
अभी अभी एक आदमी डूबकर मर गया है
और इस तरह आपकी कंपनी में
एक जगह खाली कर गया है...
में बेरोजगार हूँ मुझे ले लो...
HR बोली दोस्त तुमने देर कर दी,
अब से कुछ देर पहले
हमने उस आदमी को लगाया है
जो उससे धक्का दे कर
तुमसे पहले यहाँ आया है !!!

Sunday, October 21, 2012

कल याद बहुत तुम आये थे कल याद बहुत तुम आये थे


कल हल्की हल्की बारिश थी, कल सर्द हवा का रक्स भी था
कल फूल भी निखरे निखरे थे, कल उनमें आपका अक्स भी था
कल बादल गहरे काले थे, कल चाँद पे लाखों पहरे थे
कुछ टुकड़े आपकी यादों के, बड़ी देर से दिल में ठहरे थे
कल यादें उलझी उलझी थी, और कल तक ये न सुलझी थीं
कल याद बहुत तुम आये थे, कल याद बहुत तुम आये थे

Thursday, October 11, 2012

दोस्ती जब किसी से की जाए, दुश्मनों की भी राय ली जाए

दोस्ती जब किसी से की जाए 

दोस्ती जब किसी से की जाए दुश्मनों की भी राय ली जाए
मौत का ज़हर है फिजाओ में अब कहा जाके साँस ली जाए
बस इसी सोच में हूँ डूबा हुआ ये नदी कैसे पर की जाए
मेरे माजी के ज़ख्म भरने लगे आज फ़िर कोई भूल की जाए
बोतले खोल के तो पी बरसो आज दिल खोल के पी जाए



Saturday, July 28, 2012

माना वक़्त नहीं और बाकी कई काम सही

माना वक़्त नहीं और बाकी कई काम सही
राह भी हैं लम्बी और ढलती ये शाम सही
अंजाम से पहले खुद को ना नकारुंगा
वादा हैं मेरा कि मैं नहीं हारूँगा

जीत के बनेंगी पायदान चट्टानें मुश्किलों की
हिम्मतो से बदलूँगा लकीरे इन हथेलियों की
कि हस्ती अब अपनी हर कीमत सवारूँगा
वादा हैं मेरा कि मैं नहीं हारूँगा

चाहए कितनी ही स्याह मायूसी नजर आती हो
हौसलों कि चांदनी चाहे मद्धम हुई जाती हो
कर मजबूत खुद को वक़्त-ऐ-मुफलिसी गुजारूँगा
वादा हैं मेरा कि मैं नहीं हारूँगा

आफताब नहीं तो क्या ऑंखें उम्मीद से रोशन हैं
ज़माने को नहीं तो क्या मुझे भरोसा हरदम हैं
पाउँगा मंजिल ख्वाबो की चाँद जमी उतारूंगा
वादा हैं मेरा कि मैं नहीं हारूँगा

ख्वाइश

कुछ ख्याल जब सपने नहीं बन पते तो लब्स बन जाते है वो लब्स या तो खत मे पहुच जाते है या फिर किताबो मे अपनी जगह बना लेते है कहते है ख्वाइश से बढ़ कर कभी कुछ नहीं होता ख्वाबो से बढ़ी अगर कोई चीज है वो है ख्वाइश

Thursday, July 19, 2012

वोह हमारे थे, यह बताना अजीब सा लगता है

वोह हमारे थे, यह बताना अजीब सा लगता है,अब उनसे आँखें मिलाना अजीब सा लगता है

जो ज़िन्दगी में हमारे ना हो पाए कभी अब उनका ख्वाबों में आना अजीब सा लगता है

बडे ही खुलूस से दावत उन्हों ने भेजी थी लेकिन उनकी महफिल में जाना अजीब सा लगता है,

था कभी जिनका हाथ हमारे हाथों में अब उनसे हाथ मिलाना अजीब सा लगता है.


Sunday, July 1, 2012

Idea


A man & a woman who never met before, find themselves on upper & lower berth of a long distance train.At 2 am, Man leans over saying, "Ma'm, sorry to bother you, Would you be kind enough to give me a 2nd blanket from the side table. Its awfully cold.
 




"I have a better idea",she replied,"Just for tonight, why don't we pretend that we are married !!
"Great idea Madam.". He replied in excitement.
She says,"Well then Get up & take it yourself."

Wednesday, May 9, 2012

!!! अपना अपना स्वभाव !!!

                    एक बार एक भला आदमी नदी किनारे बैठा था। तभी उसने देखा एक बिच्छू पानी में गिर गया है। भले आदमी ने जल्दी से बिच्छू को हाथ में उठा लिया। बिच्छू ने उस भले आदमी को डंक मार दिया। बेचारे भले आदमी का हाथ काँपा और बिच्छू पानी में गिर गया।

                    भले आदमी ने बिच्छू को डूबने से बचाने के लिए दुबारा उठा लिया। बिच्छू ने दुबारा उस भले आदमी को डंक मार दिया। भले आदमी का हाथ दुबारा काँपा और बिच्छू पानी में गिर गया।

                    भले आदमी ने बिच्छू को डूबने से बचाने के लिए एक बार फिर उठा लिया। वहाँ एक लड़का उस आदमी का बार-बार बिच्छू को पानी से निकालना और बार-बार बिच्छू का डंक मारना देख रहा था। उसने आदमी से कहा, "आपको यह बिच्छू बार-बार डंक मार रहा है फिर भी आप उसे डूबने से क्यों बचाना चाहते हैं?"
भले आदमी ने कहा, "बात यह है बेटा कि बिच्छू का स्वभाव है डंक मारना और मेरा स्वभाव है बचाना। जब बिच्छू एक कीड़ा होते हुए भी अपना स्वभाव नहीं छोड़ता तो मैं मनुष्य होकर अपना स्वभाव क्यों छोड़ूँ?"

मनुष्य को कभी भी अपना अच्छा स्वभाव नहीं भूलना चाहिए।

Sunday, February 19, 2012

कभी बेवकूफों को सलाह मत दो

एक समय की बात है, नर्मदा नदी के तट पर एक बड़ा सा बरगद का पेड़ था जिसकी मोटी शाखाऐं दूर-दूर तक फैली हुयी थीं। उस पेड़ पर चिड़ियों का एक परिवार रहता था। बरगद का पेड़ भारी बारिश के दिनों में भी चिड़ियों की रक्षा करता था।

मानसून के समय एक दिन आकाश में काले बादल छाए हुए थे। जल्द ही भयंकर बारिश शुरू हो गयी। भयंकर तूफानी बारिश से बचने के लिए बंदरों का एक समूह उस पेड़ के नीचे शरण लिए हुए था। वे ठंड के मारे कांप रहे थे। चिड़ियों ने बंदरों की दुर्दशा देखी।

उनमें से एक चिड़िया ने बंदरों से कहा - "अरे बंदरों! हर बारिश के मौसम में तुम लोग इसी तरह क्यों परेशान होते रहते हो? हमें देखो, हम लोग अपनी सुरक्षा के लिए इस चोंच की सहायता से घास का तिनका-तिनका जोड़ कर घोंसला बनाते हैं। परंतु ईश्वर ने तुम्हें दो हाथ और दो पैर दिए हैं जिनका उपयोग तुम लोग खेलने-कूदने में ही करते हो। तुम लोग अपनी सुरक्षा के लिए घर क्यों नहीं बनाते?"

इन शब्दों को सुनकर बंदरों को गुस्सा आ गया। उन्होंने सोचा कि चिड़ियों की हमसे इस तरह से बोलने की हिम्मत कैसे हुयी। बंदरों के सरदार ने कहा - "सुरक्षित तरीके से अपने घोसले में बैठकर हमे उपदेश दे रही हैं। रुकने दो बारिश को, तब हम उन्हें मजा चखायेंगे।"

जैसे ही बारिश रुकी, बंदर पेड़ पर चढ़ गये और उन्होंने चिड़ियों को घोंसलों को तबाह करना शुरू कर दिया। उन्होंने घोंसलों और उसमें रखे अंडों को उठाकर जमीन पर पटक दिया। बेचारी चिड़ियाँ अपनी जान बचाकर इधर-उधर भागने लगीं।

किसी ने सही ही कहा है, सच्ची सलाह केवल गंभीर लोगों को ही देनी चाहिए और वह भी केवल मांगे जाने पर। बेवकूफ व्यक्ति को सलाह देने का अर्थ है

अपने विरुद्ध उसके गुस्से को भड़काना।

Friday, February 10, 2012

!!! क्या जरुरी है की हर बात को बताया जाये !!!

क्या जरुरी है की हर बात को बताया जाये,
बेहतर है कभी कभी चुप भी रहा जाये,
जो समझगे, वो समझ जायेगे खामोसी भी तुम्हारी
जो न समझे , भला समझाया जाये