Tuesday, February 27, 2024

मुझे वह चिट्ठी लौटा दो

 वह भी दिन थे 

घर में जब-जब चिट्ठी कोई आती 

अनपढ़ दादी मनोहरी कर पोता से पढ़वाती 

अपने नाम नमस्ते पढ़कर काका खुश हो जाते 

वंदन चरण का पढ़कर ताई फूली नहीं समाती 

अपनी नहीं मिले तो चिट्ठी औरों की ही ला दो 


मुझे वह चिट्ठी लौटा दो 

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